ताजेवाला, यमुनानगर। सिंचाई विभाग के कामों के लिए ताजेवाला यमुना नदी से पत्थर का अवैध खनन जारी है। यहां से सुबह होते ही बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रालियां पत्थर को लाद कर सिंचाई विभाग के बाढ़ राहत कार्यों की साइटों की ओर निकल जाती है। इसकी न तो कोई रायल्टी दी जाती है न ही कोई टैक्स। इसके बावजूद खनन विभाग की नींद नहीं टूट रही है। खनन विभाग के अधिकारी इस ओर देखना नहीं चाहते। वहीं यमुना नदी से पत्थर न उठे इसकी जवाबदेही सिंचाई विभाग की भी है, मगर सिंचाई विभाग के कामों के लिए ही यहां से पत्थर का अवैध खनन हो रहा है। बिना बिल के खनिज निकालना ओर उसका परिवहन करना पूरी तरह से अपराध है इसके लिए जिला भर में अवैध खनन परिवहन को रोकने के लिए चेक पोस्ट लगाई गई है इसके बावजूद हर रोज बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रालियों के माध्यम से बिना बिल व ई-रवाना के परिवहन हो रहा है।
खनिज सामग्री में पत्थर यानी बोल्डर की एकमात्र साइट कलेसर से लेकर ताजेवाला की है यहां पर यमुना में बड़ी संख्या में पत्थर मिलता है मगर यहां पर कोई खनन की साइट बीते एक-डेढ़ दशक या उससे अधिक से समय से नहीं है। इसके बावजूद अब तक करोड़ों का पत्थर यहां चोरी हो चुका है। खनन विभाग के कानून के मुताबिक किसी भी जगह कोई भी खनिज सामग्री का स्टोरेज किया जाता है तो उसके पास परिमशन के अलावा बिल व ई-रवाना होना जरुरी है। मगर यहां पर किसी कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। हर साल केवल सिंचाई विभाग के कामों के लिए यहां से करोड़ों का पत्थर निकाल लिया जाता है।
बेलगढ़ से लेकर ताजेवाला तक मोटे पत्थर की कोई वैध खनन साइट नहीं है , जहां से पत्थर निकाला जा सके ओर मोटा पत्थर केवल कलेसर से लेकर बेलगढ़ तक ही मिलता है। तीन चार दिन पहले ही जब हथिनीकुंड बैराज पर चल रहे काम का निरीक्षण करने आए विभागीय विजिलेंस के अधिकारियों ने वहां मौजूद सिंचाई विभाग के स्टाफ से वहां लगाए जा रहे पत्थर के ई-रवाना व बिल मांगे तो वह केवल गेट पास ही दिखा पाए। जबकि शेरपुर मोड से लेकर तमाम सिंचाई विभाग की साइटों पर पत्थर का स्टाक लगा पड़ा है यानी खनन विभाग चाहे तो न केवल पत्थर जब्त कर सकता है, बल्कि उस पर करोड़ों की पेनल्टी भी लगा सकता है। इसके बावजूद सारा खेल खुलेआम चल रहा है।
वर्ष 2024 में लगातार मीडिया रिपोर्टस के बाद खनन विभाग ने सिंचाई विभाग से 2024-25 के बाढ़ बचाव के कामों के लिए लगाए गए पत्थर के ई-रवाना प्रस्तुत करने को कहा था। इसके लिए सिंचाई विभाग के एसई को पत्र लिखा था। इसकी एक कापी महानिदेशक खान व भू-विज्ञान विभाग को भी भेजी गई, यानी मामला हैडआफिस के संज्ञान में भी डाला गया। इसके बावजूद न तो खनन विभाग को कोई ई-रवाना प्रस्तुत किए गए न ही खनन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई की गई। अब शायद खनन विभाग भी इसको भूल कर बैठ गया, यानी नियम कानून केवल आम आदमी के लिए ही है।
ताजेवाला से निकल रहे पत्थर से भरी ट्रालियां हर रोज सड़कों पर देखी जा सकती है। आस-पास के लोगों का कहना है कि यमुना नदी में अवैध खनन पर एनजीटी को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए या अवैध खनन रोकने का दावा करने वाले अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए।