- कलेसर रेंज के रिर्जव फारेस्ट व सेंचुरी एरिया में हुआ खैर के पेड़ों का अवैध कटान, हमले के बाद खाली हाथ लौटना पड़ा स्टाफ को
कलेसर-छछरौली, यमुनानगर। वन रेंज कलेसर की खिल्लांवाला बीट से काटे गए खैर के पेड़ों की लकड़ी को बरामद करने गए फारेस्ट स्टाफ पर गांव जाटांवाला में खैर तस्करों ने हमला कर दिया। एक फारेस्ट गार्ड के कपड़े फाड़ दिए गए। इस दौरान छछरौली रेंज की एक सरकारी बोलेरो कैंपर गाड़ी को लाठी, डंडो से तोड़ दिया गया। गांव में लगातार भीड़ इक्टठा होने की वजह से स्टाफ को गांव में छुपाई गई खैर की लकड़ी से भरी गाड़ी को वहीं पर छोड़ कर वापस लौटना पड़ा। प्रतापनगर पुलिस ने शिकायत के आधार पर जाटावाला गांव के पाचं लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली है।
यमुनानगर फारेस्ट डिविजन की कलेसर रेंज के रिर्जव फारेस्ट व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया खिल्लांवाला ब्लाक की बीट में खैर तस्करों ने खैर के पांच पेड़ काट लिए गए। इसकी जानकारी बीट के गार्ड सचिन मलिक को गश्त के दौरान मिली। उसे खैर के पांच पेड़ों की मुंडिया मिली। पुलिस को दी शिकायत में कलेसर रेंज द्वारा बताया गया कि गार्ड को सूचना मिली कि काटे गए खैर के पेड़ों की लकड़ी खिल्लांवाला गांव में छुपाई गई है व लकड़ी को गाड़ी में लाद कर खिल्लांवाला से गांव जांटावाला ले जाई जाएगी। जिसके बाद तीन टीमें बनाकर नाकाबंदी कर दी गई। थोड़ी ही देर में खिल्लांवाला बनियावाला रोड पर एक स्कोर्पियों गाड़ी आती हुई दिखाई दी। जिसकी नंबर प्लेट पर मिटटी लगी हुई थी। नंबर प्लेट पर लास्ट के चार डिजिट दिखाई दे रहे थे। गाड़ी को जाटांवाला गांव का जमशेद चला रहा था, उसके साथ कासिम बैठा हुआ था। गाड़ी को रुकने का इशारा किया गया, लेकिन तस्कर गाड़ी को जाटावाला की ओर भगा ले गए। तस्करों की गाड़ी का पीछा बीट वन रक्षक अंकित, संजीव, मुबीन खान द्वारा किया गया। लकडी से भरी जिस गाड़ी का पीछा किया जा रहा था वह जाटोवाला गांव में घुस गई। उसके बाद फारेस्ट स्टाफ भी उनके पीछे अपनी गाडियां लेकर गांव मे घुस गया।
छछरौली रेंज की गाड़ी पर हुआ हमला
इस दौरान छछरौली रेंज की दो गाड़ियां बोलेरो व बोलेरो कैंपर जैसे ही गांव जाटांवाला में घुसी उसी दौरान उन पर भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें बोलेरो कैंपर गाड़ी को बुरी तरह से तोड़ दिया गया, हाथापाई में उसको चला रहे फारेस्ट गार्ड संजीव के कपड़े फाड़ दिए गए। स्टाफ को जान से मारने की धमकी दी गई। जिसके बाद स्टाफ को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा, यानी जिस गाड़ी का पीछा किया जा रहा था वह काबू नहीं की जा सकी।
इस संबंध में जाटांवाला गांव के जमशेद, कासिम, इकराम, वलीदीन, महबूब पर आईएफए की धारा 32,33, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 27,29, बीएनएस की धारा 115, 121(1) , 132, 324(3), 351(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
क्यों नही पहुंचा कलेसर का स्टाफ
इतनी बड़ी घटना से एक सवाल उठ खड़ा हुआ है कि जब कलेसर रेंज के रिर्जव फारेस्ट से पेड़ कटने की सूचना सुबह ही मिल गई उसके बाद रात को यह भी पता चल गया कि किसी गाड़ी में लकड़ी लाद कर जाटांवाला गांव में ले जाई जाएगी। उसके बावजूद कलेसर रेंज का पूरा स्टाफ इस गाड़ी को काबू करने के लिए क्यों नहीं लगाया गया, कलेसर रेंज के पास अपनी सरकारी गाड़ी के अलावा एक थार गाड़ी गश्त के लिए दी गई है। इसके साथ ही खिलांवाला ब्लाक के साथ ही प्रतापनगर ब्लाक, ताजेवाला ब्लाक, कलेसर ब्लाक में भी स्टाफ है। रेंज अधिकारी भी मौजूद है ऐसे में संयुक्त रुप से गांव में पीछा कर रेड क्यों नही की गई।
गांव में केवल छछरौली रेंज के ही तीन चार कर्मचारी पहुंचे। पिछले दो से तीन दशक में लगभग हर खैर कटान में इस गांव से जुड़े तस्करों का नाम आता है, जो छछरौली-कलेसर से लेकर मोरनी डिविजन तक के जंगलों में खैर तस्करी में शामिल रहे हैं। ऐसे में स्टाफ के मुटठीभर कर्मचारियों की जान जोखिम में क्यों डाली गई।
डिविजन, सर्कल या हैड आफिस खैर के अवैध कटान को लेकर आखिर कर क्या रहा है
जंगलों से लगातार खैर काटा जा रहा है वीरवार रात की इस घटना के बाद आखिर डिविजन आफिस या सर्कल आफिस के अधिकारियों ने इस संबंध में क्या कार्रवाई की है। क्या जिस जंगल मे कटान हुआ उसको चेक किया गया कि वाकई में कितना कटान हुआ है या अधिकारियों स्टाफ की मीटिंग लेकर कोई रणनीति बनाई गई। अब सवाल केवल जंगल का नहीं, बल्कि स्टाफ की जान माल का भी है ऐसी हालत में केवल पुलिस को शिकायत देकर कैसे तस्करों की कमर तोड़ी जा सकती है। विभाग के पास आईएफएस के अलावा एचएफएस अधिकारियों की कमी नहीं है। क्यों आखिर सर्कल लेवल पर सीनियर आफिसर्स की एक कमेटी नहीं बनाई जाती,जो घटना के बाद मौके पर जाकर जांच करें ओर इसकी रिपोर्ट सरकार को करें , ताकि सरकार भी इस संबंध में कोई कड़े कदम उठाए।