पंचकूला। पिंजौर पुलिस ने सूरजपुर बाइपास के नजदीक खैर की लकड़ी से भरी दो पिकअप गाड़ियों को काबू किया। इसमें 4 लाख रुपये से अधिक की खैर की लकड़ी लदी थी। गाड़ी के चालक पुलिस को देखकर मौके से फरार हो गए। एक गाड़ी पर हरियाणा की रजिस्ट्रेशन प्लेट लगी थी तो दूसरी गाड़ी पर यूके रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट लगी थी। इसके साथ ही गाड़ी में दो फर्जी नंबर प्लेट भी पड़ी मिली। पिकअप में खैर की ताजी कटी लकड़ी लदी हुई थी।

पुलिस ने दर्ज एफआईआर में बताया कि पुलिस पार्टी को सूचना मिली कि चोरी की लकड़ी से लदी खैर की दो गाड़ियां जिन पर तरपाल लगी हुई है। दोनों गाड़ियां एचएमटी पिंजौर की ओर से पंचकूला की ओर जा रही हैं। इस सूचना के बाद पुलिस कर्मचारियों अपनी गाड़ी सूरजपुर बाईपास के नजदीक खड़ी कर पिकअप गाड़ियों का इंतजार करने लगे। थोड़ी देर मे दो पिकअप गाड़ियां आती हुई दिखाई दी तो इन दोनों पिकअप के चालक सामने पुलिस पार्टी को देखकर मौके से फरार हो गए। इसके बाद दोनों पिकअप गाड़ियों को चेक किया गया तो उसमें खैर की लकड़ी लदी हुई थी। इसमें एक गाड़ी पर एचआर 39 एफ 5573 नंबर प्लेट लगी थी तो दूसरी गाड़ी पर यूके14सीए1770 नंबर की प्लेट लगी थी। दोनों पिकअप गाड़ियों की तलाशी ली गई तो उसमें एक गाड़ी में दो फर्जी नंबर प्लेट भी मिली। गाड़ियों की तलाशी में इनके असली मालिकों के बारे में सुराग नहीं लग पाया। पुलिस ने इस संबध में बीएनएस की धारा 303(2) के तहत मामला दर्ज कर लिया।

वहीं इस बारे में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एचएमटी एरिया से 10 पेड़ कटे पाए गए है। जबकि सवाल यह है कि बड़ी संख्या में जो लकड़ी दो पिकअप गाड़ियों से बरामद हुई है वह केवल 10 पेड़ों की नहीं हो सकती। पुलिस ने भी अपनी एफआईआर में बरामद लकड़ी की कीमत 4 लाख बताई है। पेड़ बड़ी संख्या में काटे गए होंगे जिससे इतनी मात्रा में लकड़ी बरामद हुई। हालांकि एचएमटी का एरिया सेक्शन फोर के तहत आता है। यह एरिया जिसके भी अधीन है वहां 60-70 सुरक्षा गार्डों की तैनाती भी बताई जाती है। इसके बावजूद इतनी बड़ी मात्रा में अवैध कटान होना सवाल तो खड़े करता ही है।

इस बारे में रेंज अधिकारी पिंजौर सुनील कुंडू से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वन मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूरी पर इतनी बड़ी मात्रा में खैर की लकड़ी बरामद होना केवल डिविजन ही नहीं बल्कि हैड आफिस में बैठे अधिकारियों के लिए भी सोच का विषय होना चाहिए कि वह आखिर खैर की खैर-खबर कब लेंगे।

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