हथनीकुंड, यमुनानगर। हथनीकुंड बैराज के कार्य में गंभीरता न दिखाने व अनावश्यक देरी की वजह से बैराज में जलस्तर निम्न होने के बावजूद नुकसान होना शुरु हो गया है। बैराज में यूपी साइड में सुरक्षा दीवार को नुकसान होने से ब्लाक उखड़ कर अपनी जगह से हट गए,जबकि अधिकाारियों के अनुसार बैराज पर पानी का अब तक उच्चतम स्तर 56 हजार क्यूसिक रहा है। लगभग 146 करोड़ के डायाफ्राम वाल के टेंडर का काम जो जून तक पूरा हो जाना चाहिए था वह अभी अधूरा ही पड़ा है। लगातार चिंता जताए जाने के बावजूद संबधित अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
हथनीकुंड बैराज पर उतरप्रदेश की ओर पानी के बहाव की वजह से लगे वहाँ लगे ब्लॉक उखड़ कर बह गए, अब इस नुकसान को थामने के लिए टेंपरेरी वर्क करवाया जा रहा है यानी अगर टेंपरेरी वर्क से काम चल जाता है तो आखिर इतना बड़ा टेंडर करने की क्या जरुरत थी।बताया जाता है कि लगभग 5 से छह महीने पहले बैराज की सुरक्षा के लिए डायाफ्राम वाल का टेंडर कर दिया गया। इस टेंडर में काम की समय सीमा 5 महीने की बताई गई थी। यह काम भी इसी टेंडर वर्क का पार्ट था. जिसको अब तक पूरा हो जाना चाहिए था
लगभग 124 पेज के इस डिटेल नोटिस इनवाइटिंग टेंडर में इतनी नियम व शर्तें रखी गई कि इसको देखकर ही आसानी से एजेंसिया काम में हाथ न डाल सके। इसके बावजूद टेंडर जिसको मिलना था मिल गया
इस टेंडर के पेज नंबर तीन व चार में स्पष्ट रुप से कार्य की समयावधि 5 महीने रखी गई। जनवरी- फरवरी में यह काम शुरू हो गया मगर पांच महीने पूरे होने पर भी काम का कहीं पर अता पता नहीं है। 30 जून तक सिंचाई विभाग के सभी काम पूरे हो जाने चाहिए मगर यहां पर 30 जून तक शायद आधा भी काम नहीं हुआ।
विजिलेंस विंग के अधिकारियों ने की थी खिंचाई
लगभग 15 से 20 दिन पूर्व विभागीय विजिलेंस विंग की टीम ने यहां पर चल रहे काम की देरी को लेकर सवाल उठाया था। मौके पर विजिलेंस के एक्सईएन ने पूछा था कि आखिर क्या यह काम 30 जून तक पूरा हो जाएगा तो विभाग के एक्सईएन का कहना था कि 30 जून तो बाकी फ्लड वर्क्स होते है इसकी समयावधि 30 जून की नहीं तो विजिलेंस विभाग के एक्सईएन बोले कि आखिर कौन से कागज में ऐसा लिखा है कि यह काम दूसरे कामों से अलग है। इसके बाद किसी से जवाब तक नहीं दिया गया। यानी यह नहीं बताया गया कि आखिर टाइम लिमिट क्या है। क्या इतने बड़े काम के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं की गई ओर अगर की गई तो काम समय पर पूरा क्यों नहीं हो रहा है।
टेंडर में स्पष्ट रुप से काम की टाइम लिमिट 5 महीने लिखी है। अब इसके बावजूद खतरे की आशंका रह गई ओर टेंपरेरी काम कराने पड़े तो आखिर ऐसे काम का क्या मतलब रह जाता है।