बेलगढ़, यमुनानगर। सब डिविजन छछरौली के तहत आने वाले बेलगढ एरिया में मुजैहदवाला जंगल से बेलगढ़ जाने वाले रास्ते पर कन्यावाला साइड में पिछले डेढ़ दो महीने में खेतों में चल रहा अवैध खनन लगातार जारी है। अवैध खनन में शामिल वाहनों के टायरों के ताजे निशान यह बता रहे हैं कि रात के समय यहां पर अवैध खनन चलता है। जबकि अवैध खनन पर लगाम लगाने के दावे किए जा रहे हैं। यहां पर लगभग एक माह पहले अवैध रुप से जितना एरिया खोदा गया था, अब खुदाई का वह एरिया पहले से दोगुना हो चुका है। ऐसे में किस प्रकार अवैध खनन को रोकने के दावे किए जा रहे हैं।
मुजैहदवाला जंगल से बेलगढ़ के रास्ते के दक्षिण साइड की ओर बाग के पीछे एग्रीकल्चर लैंंड पर पिछले लगभग डेढ़ दो महीने से चल रहा अवैध खनन अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। यहां पर लगभग आठ से दस एकड़ या शायद उससे अधिक की जमीन से अवैध खनन हो चुका है। अब भी इस जमीन पर अवैध खनन में संलिप्त वाहनों के टायरों के ताजे निशान वहां पर दिखाई दे रहे है यानी अवैध खनन रुका नहीं है। जबकि यह पूरा एरिया जब यहां पर खुदाई शुरु हुई थी तभी खनन विभाग के साथ एनफोर्समेंट ब्यूरो की नजर में आ चुका था। अब इस जमीन के पीछे की ओर यानी पश्चिम की ओर भी खुदाई हुई पड़ी है। यानी जब अवैध खनन रुकना ही नहीं है तो आखिर इन विभागों पर इतना खर्च करने का लाभ क्या है।
लगातार डयूटी रहती है माइनिंग गार्डस की, क्या होती है उनकी जिम्मेदारी
बेलगढ़ जाने वाले इस रास्ते के लगभग आधा रास्ता पार करने के बाद यह रास्ता इस खुदाई की जमीन की ओर जाता है रास्ता को देखने से पता चलता है कि उसको खनन करने के बाद बंद कर दिया जाता है। इस एरिया में लगातार माइनिंग गार्डस की डयूटी रहती है इसके बावजूद अवैध खनन के जो निशान मीडिया कर्मियों को दिख जाते हैं वह इन कर्मचारियों को क्यों नहीं दिखतें है। इस रोड पर बाग से थोड़ा पहले पूर्व की ओर भी खेती की जमीन पर अवैध खनन किया गया है। उसका रास्ता भी मिटटी डाल कर बंद किया गया है मगर एक एचएम या जेसीबी को दस मिनट भी रास्ता खोलने में नहीं लगते है। वहां पर भी अवैध खनन साफ दिख रहा है।इस पूरे एरिया को उजाड़ बना कर रख दिया गया है। कुछ सालों पहले मुजैहदवाला जंगल से बेलगढ तक दोनों ओर पूरी हरियाली होती थी जहां पर फसलें या पेड़ लहलहाते थे मगर अब जमीनों ने नदियों का रुप ले लिया है जबकि यहां पर कोई माइनिंग ब्लाक भी नहीं है।
कार्रवाई के नाम पर एफआईआर या थोड़ा बहुत जुर्माना
विभाग कार्रवाई के नाम पर एफआईआर या थोड़ा बहुत जुर्माना कर पल्ला झाड़ लेेता है जबकि एक एकड़ से 50 लाख से लेकर 1 करोड़ के बीच का मैटिरियल निकलता है। उनके लिए थोड़ा बहुत जुर्माना कोई मायने नहीं रखता है। माल किसने चोरी किया, किसके प्लाट पर गया ओर किसकी जमीन है अगर सब पर तरीके से कार्रवाई हो तो कोई मतलब ही नही है कि कोई खनिज चोरी की जुर्रत भी कर जाए, मगर ऐसा तो होता नहीं है। जितनी जमीनें पिछले पांच दस सालों में खोदी गई है अगर एसआईटी बनाकर जांच व उनकी पैमाइश कराई जाए तो सैकड़ों करोड़ का नुकसान इसी एरिया में दिखाई दे जाएगा।
सब डिविजन छछरौली एरिया में लाकड़ यमुना घाट से लेकर बेलगढ़, मांडेवाला, ताजेवाला से लेकर नागल पत्ती व घाड़ का पूरा क्षेत्र इस समय बुरी तरह से अवैध खनन की चपेट में है।




