-पटरी न होती तो यमुना कन्यावाला व देवधर तक पहुंच गई होती, हालात खराब होने के बावजूद अवैध खनन पर कोई सख्ती नहीं

बेलगढ़, यमुनानगर। बेलगढ़ यमुना नदी की पटरी किनारे जिस पर सिंचाई विभाग ने अभी 35-40 करोड़ रुपये खर्चें हैं। उसके पश्चिम की ओर न केवल स्क्रीनिंग व स्टोन क्रशर चल रहे हैं बल्कि देवधर जंगल की ओर आने वाले रास्ते के एक ओर तो जंगल तक अवैध खनन कर दिया गया है वहीं दूसरी ओर खेती की जमीन भी आधे रास्ते तक इतनी बुरी तरह से खोद दी गई है कि वहां पर दोनों ओर जमीन ने नदी का रुप ले लिया है। कन्यावाला की ओर तो अभी भी अवैध खनन जारी है, जमीन पर बारिश के बावजूद पड़े खनन के निशान यह दिखा रहे हैं कि यहां पर किसी का कंट्रोल नहीं है।

यमुना नदी किनारे सटा बेलगढ़ एरिया पूरी तरह से अवैध खनन की चपेट मे है इस एरिया में पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से अवैध खनन हुआ है उससे खेती की जमीनें नदी का रुप ले चुकी है। यानी यमुना व इन खोदी गई जमीनों के बीच केवल यमुना पर लगी पटरी ही एक ऐसी रोक है यमुना का रुख देवधर-कन्यावाला की ओर मोड़ने में । पिछले साल यमुना में बारिश सीजन में इस पटरी में भी कटाव शुरु हो गया था। कटाव का कारण भी यमुना में जाकर अवैध खनन करना ही था। सैकड़ों एकड़ जमीनें बिना किसी घाट के खोद कर सैकड़ों करोड़ का नुकसान सरकार को पहुंचाया गया है। मगर बताया जाता है कि रिकवरी के नाम पर छोट-मोटे नोटिस देकर इतिश्री कर ली जाती है।

अब बेलगढ़ से देवधर की ओर आने वाले रास्ते में कन्यावाला साइड में अवैध खनन चल रहा है। यहां पर हालात यह है कि बिना किसी घाट के बड़ी मात्रा में स्टाक क्रशिंग व वाशिंग यूनिटस पर पड़ा है। रास्तें के दोनों साइड में एग्रीकल्चर लैंड को यमुना नदी से भी गहरा खोद दिया गया है जहां पर लबालब पानी भरा ऐसे लगता है जैसे कोई नई नदी ने रास्ता बनाया हो।

अवैध खनन से हो रहा है दोहरा नुकसान

इस एरिया में अवैध खनन से दोहरा नुकसान हो रहा है। एक ओर तो अवैध खनन से न केवल करोड़ों के रेवेन्यू का लास हो रहा है तो दूसरी ओर इस अवैध खनन से पैदा हुए बाढ़ के खतरे को रोकने के लिए सिंचाई विभाग करोड़ों का बजट खर्च कर रहा है, यानी अवैध खनन न होता तो इस बार बाढ़ राहत कार्य के लिए पटरी पर की गई 35 से 40 करोड़ की फिजूल खर्ची बच जाती। हालांकि होना तो यह चाहिए था कि जिन खनन चोरों ने पटरी के यमुना की साइड अवैध खनन किया है उनसे यह राशि वसूल की जाती, मगर उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है।

कार्रवाई के बावजूद अवैध खनन न रुकना विफलता का बड़ा संकेत

इस एरिया में पिछले दिनों प्रतापनगर पुलिस के अलावा एनफोर्समेंट ब्यूरो ने भी कार्रवाई की है। मगर इससे अवैध खनन करने वालों को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है एक एकड़ से करोड़ों की खनिज सामग्री निकलती है अगर 5-10 लाख जुर्माना या खर्च करना भी पड़ गया तो कोई असर नहीं होता। बेलगढ पटरी से थोड़ा पहले रास्ते में आने वाले एक बाग के सामने ओर उसके थोडा आगे जाकर पीछे की साइड में जमकर अवैध खनन चल रहा है, बारिश के बावजूद वहां पर अवैध खनन कर रहे वाहनों के पहियों के निशान दिखाई दे जाते हैं। दिन भर प्लाटों की मशीनरी की गडगडाहट यहां रहती है जब तक खनन विभाग की कोई स्थाई चौंकी यहां पर नहीं बनाई जाती तब तक कुछ होने की उम्मीद रखना बेमानी है।

 

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