यमुनानगर। जिले में राइस मिलों की फिजिकल वेरिफिकेशन जारी है, लेकिन विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि बाहरी राज्यों से होने वाली फसल खरीद की भी साथ-साथ जांच की जाए, तो एक बड़ा नेटवर्क सामने आ सकता है। पिछले 10–15 वर्षों से यूपी और हिमाचल प्रदेश से धड़ल्ले से गेहूं और धान की आवक हो रही है। जबकि नियमों के अनुसार बिना पोर्टल पर स्थानीय भूमि का पंजीकरण किए कोई भी फसल मंडी में नहीं लाई जा सकती। इसके बावजूद हर मंडी सीजन में बॉर्डर क्षेत्रों की मंडियों में यूपी और हिमाचल के वाहनों को बड़ी संख्या में देखा जाता है। स्थिति यह है कि जहां उपजाऊ भूमि लगातार कम होती जा रही है, वहीं मंडियों की आवक में हर साल इजाफा ही देखने को मिलता है। इससे मंडी अधिकारियों, कमीशन एजेंटों और खरीद एजेंसियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

प्रतापनगर मंडी में सबसे अधिक होती है आवक

प्रतापनगर, रंजीतपुर, खारवन और अन्य मंडियों में हर सीजन बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों से अनाज आता है। प्रतापनगर का मामला सबसे अधिक गंभीर बताया जा रहा है। इलाके में बड़ी मात्रा में जमीन खनन और पॉपलर की खेती में चली गई है, इसके बावजूद हर सीजन भारी आवक दर्ज होती है।स्थानीय लोगों के अनुसार कई बार एक-एक ट्रॉली में 150 क्विंटल तक गेहूं और धान भरकर बाहरी राज्यों से लाया जाता है।

फर्जी परचेज सेंटरों का खेल भी जारी

छछरौली मार्केट कमेटी के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में न सिर्फ बाहरी राज्यों से फसल खरीद की शिकायतें हैं, बल्कि फर्जी परचेज सेंटरों का खेल भी लंबे समय से जारी है। शिकायतें बताती हैं कि—छछरौली बीडीपीओ कार्यालय के पास,बलाचौर क्षेत्र में,शेरपुर में, तथा कई राइस मिलों के अंदर सीधे बाहरी राज्यों से माल उतारा जाता है। यह मामला कई बार मीडिया की सुर्खियों में रहा है, लेकिन मंडी अधिकारी और उच्च अधिकारी इन शिकायतों को लगातार नजरअंदाज करते रहे हैं।

जांच का दायरा मिलों तक सीमित क्यों?

राईस मिलों की जांच तो चल रही है मगर असली अनियमितताएं मंडी स्तर से शुरू होती हैं, जहां बाहरी राज्यों की फसल कम कीमत पर खरीदकर ऊंचे दामों में बेची जाती है। इसके साथ ही धान मंडियों से लेकर एजेंसियां मिलर्स को देती हैं।

सही काम करने वाले मिलर्स भी परेशानी में

कई राइस मिलर्स का कहना है कि जो लोग वर्षों से नियमों के अनुसार कार्य कर रहे हैं, उन्हें भी फिजिकल वेरिफिकेशन के नाम पर अनावश्यक जांच का सामना करना पड़ रहा है। सवाल है कि जब निरीक्षण का जिम्मा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग तथा खरीद एजेंसियों के अधिकारियों का है, तो गड़बड़ी सामने आने पर जिम्मेदारी उनकी क्यों तय नहीं की जाती?

जांच की मांग तेज

जिले में यह मसला लगातार चर्चा में है। स्थानीय लोगों, किसानों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि—

जांच केवल राइस मिलों तक सीमित न रहे

मंडी अधिकारियों, कमीशन एजेंटों और फर्जी परचेज सेंटरों की भी विस्तृत जांच की जाए

बाहरी राज्यों से आने वाले अनाज की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को खंगाला जाए

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