कलेसर, यमुनानगर। कलेसर रेंज के अराईयांवाला एरिया में खैर के पेड़ों  का बड़ी संख्या में कटान हुआ है। इसमें खैर के दर्जनों की संख्या में पेड़ काटे गए हैं। ताजेवाला के समीप नहर के किनारे एक पहाड़ी पर इस कटान से मैदानी एरिया में खैर माफिया के हौंसले बुलंद हैं। पहले भी इस नहर दक्षिण की ओर कटान हो चुका है। मगर वन विभाग शायद इसे गंभीरता से नहीं लेता। हालांकि वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि यह कटान आठ दस दिन पहले हुआ है जिसमें खैर के छह पेड़ काटे गए हैं, इसमें एक आरोपी को भी पकड़ा गया था मगर मौके पर बड़ी संख्या में पेड़ों की मुंडिया दिखाई देती है।

फारेस्ट डिविजन यमुनानगर की कलेसर रेंज के अराईयांवाला एरिया में खैर तस्करों ने सर्दी की शुरुआत में ही बड़ी दस्तक दी है। नार्थ में घाड़ एरिया के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों में तो इस तरह की घटनाएं होती रहती है वहां पर पूरा क्षेत्र में जंगल के कई रास्ते होने की वजह से खैर माफिया के लिए वारदात को अंजाम देना मुश्किल नहीं है मगर मैदानी इलाके विशेषतौर पर ताजेवाला व अराईयांवाला की आबादी एरिया के बीच जहां हर समय आवागमन लगा रहता है वहां पर इस तरह की वारदात स्वीकार्य नहीं हो सकती।  ताजेवाला से अराईयांवाला के बीच गुजर रही नहर के दोनों ओर मिटटी के पहाड़ों पर बड़ी मात्रा में खैर के वृक्ष खड़े है हालांकि बड़े व मोटे पेड़ तो अब खैर माफिया की भेंट चढ़ चुके है मगर अब भी जो बचे खुचे पेड़ हैं उनको भी खैर तस्कर लगातार काट रहे हैं।

इसी कड़ी में नहर के नार्थ में बनी पहाड़ी पर खैर के दर्जनों पेड़ों की मुंडिया दिखाई देती है। पटरी से गुजरते ही कटान का दृश्य दिखाई देता है।यह कटान पिछले कुछ दिनों में हुआ लगता है। यहां पर खैर के पेड़ों की ताजा मुंडियों पर हालांकि विभाग ने नंबर आदि तो लगा दिए हैं। मगर इतने व्यापक पैमाने पर कटान होना यह दर्शाता है कि इस एरिया में खैर माफिया काफी एक्टिव है।

विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि लगभग आठ दस दिन पहले यहां से छह पेड़ों का अवैध कटान हुआ था, जिसमें एक आरोपी को काबू भी किया गया था। मगर मौके पर मुंडियों की संख्या बड़ी संख्या में है। विभाग के नंबर लगने के बावजूद मुंडियों को मिटटी या पत्ते झाड़ियों से ढका गया है। आमतौर पर यह हरकत खैर माफिया पेड़ काटने के बाद करता है ताकि पेड़ की मुंडी पुरानी या न दिखाई दें। मगर नंबरिंग के बाद मिटटी या झाड़ियों से ढकना यह काम तो आरोपियों का नहीं है क्योंकि वह नंबरिंग के बाद तो वहां पर अपना अपराध छुपाने नहीं आए होंगे।

लगातार गश्त ओर पारदर्शिता की जरुरत 

इस एरिया में गश्त करना मुश्किल कार्य नहीं है, क्योंकि पूरा एरिया मैदानी व सड़क के किनारे का है। इसके बावजूद यहां पर खैर माफिया द्वारा वारदात करना लापरवाही को दर्शाता है। इसके साथ ही जिस तरह से वन अपराध रिपोर्ट आदि दर्ज की जाती है उसमें भी पारदर्शिता होना जरुरी है ताकि पता चले कि मौके से कितने पेड़ों का कटान हुआ है ओर रिपोर्ट में क्या दर्ज किया गया है। उस एरिया में कुल कितने वृक्ष है वह अभी वहां पर कितने पेड़ खड़े हैं। अब तो जंगल लगभग खाली हो चुके हैं इसलिए गणना करना मुश्किल भी नहीं है।

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