दादुपुर, यमुनानगर। अवैध खनिज परिवहन को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने नाके लगा रखे हैं। वहीं दादुपुर हैड बिना बिल व ई-रवाना के धड़ल्ले से अवैध खनिज से भरे वाहन निकलवाए जा रहे है। दिन भर हर एक दो घंटे में दो&तीन ट्रैक्टर-ट्रालियां इस रुट से निकल जाती है ओर बाजार में पहुंच जाती है। मौका मिलने पर डंपर भी निकाल दिए जाते हैं। हैड पर पुल के कमजोर होने से खनिज सामग्री से भरे वाहनों के गुजरने पर रोक लगाई है, लिंक रोड होने की वजह से इस रास्ते पर कोई नाका नहीं लगाया गया है इसकी वजह से यहां से वैसे भी खनिज सामग्री लदा कोई वाहन नहीं निकाला जा सकता है पर प्रशासन के आदेशों को खुद सिंचाई विभाग के कर्मचारी पलीता लगाने में जुटे हैं।
दादुपुर हैड अवैध खनिज परिवहन के साथ ओवरलोड लकड़ी की ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ सीसी टाइलों व ब्लाकों की ट्रालियों को निकालने का सेफ रुट बन गया है। बल्लेवाला-बेलगढ़ जोन से निकलने वाली रेत-बजरी के वाहनों के लिए एक रुट भूड़कला-प्रतापनगर बनाया गया है जिसमें भूड़कलां में एचपीजीसीएल आफिस के सामने नाका लगाया गया है वहीं दूसरा रुट देवधर से बूड़िया वाया खदरी होकर जाता है जिसमें शहजादपुर में नाका लगाया गया है।
मगर इन दोनों नाकों से बचने के लिए रामपुर से नंदगढ़ होते हुए खनिज सामग्री से भरी ट्रैक्टर-ट्रालियां दादुपुर हैड पहुंच जाती है यहां पर न केवल सिंचाई विभाग की चेक पोस्ट है बल्कि पुलिस के कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं। इसके बावजूद यहां से दिन भर बिना बिल व ई-रवाना के नाकों से बचने वाले वाहनों को निकलवा दिया जाता है। हैड पर पुराने पुल के कमजोर होने की वजह से तीन चार वर्ष पहले खनिज सामग्री से भरे वाहनों के यहां से गुजरने पर रोक लगा दी गई थी, मगर इसके बावजूद यहां पर तैनात कर्मचारी दिन ओर रात के समय खनिज सामग्री से भरी ट्रैक्टर-ट्रालियां व डंपर तक निकलवा रहे हैं।
नाकों को विफल करने का हो रहा है प्रयास
दादुपुर हैड सिंचाई विभाग की एक डिविजन का कार्यालय भी है जिसमें एक्सईएन से लेकर तमाम अधिकारी होते है, रात के रुकने के लिए उनकी कोठियां व क्वार्टर बनाए गए है इसके बावजूद दिन ओर रात दोनों समय अवैध खनिज का परिवहन इस रुट से होता है, यानी प्रशासन द्वारा लगाए गए नाके खुद एक विभाग के कर्मचारियो की लापरवाही या मिलीभगत से विफल करने का प्रयास हो रहा है। दादुपुर से जगाधरी वाया खारवन एक लिंक रोड है जिस पर इतना हैवी लोड लेकर चलना भी गलत है। मगर सब कुछ ताक पर रखकर यह सब चल रहा है। इस रोड के आस-पास बसे गांवों के लोगों का कहना है कि रोड पर सुबह व शाम के समय चलना खतरे से खाली नहीं है। एक ओर लकड़ी से भरी ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रालियां झूलती हुई निकलती है वहीं दूसरी ओर रेत-बजरी के वाहन, जिन पर कोई रजिस्ट्रेशन नंबर की प्लेट तक नहीं लगी होती। ऐसे में अगर यह वाहन किसी को कुचल कर भाग जाएं तो इनकी पहचान भी नहीं हो सकती। मगर सिंचाई विभाग को इसकी कोई फ्रिक नहीं है।