प्रतापनगर, यमुनानगर। बारिश के पानी में प्रतापनगर के बीडीपीओ व तहसील आफिस के बाहर तालाब जैसी हालत हो गई है। इन दोनों कार्यालयों में आने वाले लोगों को गंदे पानी के बीच से निकल कर कार्यालय तक जाना पड़ रहा है। यहीं नहीं सोमवार को तो बीडीपीओ के कमरे में पानी आ गया, जिसकी वजह से ब्लाक समिति चेयरमैन के कमरे में मीटिंग लेनी पड़ी। यहां पर गंदे पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है ऐसे में लाखों का रेवेन्यू देने वाली तहसील व खंड विकास कार्यालय का विकास स्प्ष्ट दिखाई दे रहे हैं। यानी दिए तले अंधेरे वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

छछरौली से अलग कर प्रतापनगर को अलग खंड व उपतहसील का दर्जा मिले कई वर्ष हो गए। मगर यहां पर न तो बीडीपीओ कार्यालय के पास अपना भवन है न ही तहसील कार्यालय के पास। ऐसे में एचपीजीसीएल के रिहायशी एरिया में दोनों कार्यालय बने हुए हैं। मगर इन दोनों दफ्तरों की हालत इतनी खराब है कि न तो यहां पार्किंग की कोई व्यवस्था है न ही यहां पर बारिश के पानी की निकासी की। पुराने भवन सीलन से भरे पड़े हैं। पीवीसी पैनल आदि लगाकर कमरों का मेकअप आदि किया गया है जिसमें अधिकारी बैठते हैं। मगर यहां पर एक बारिश में दफ्तरों के बाहर तालाब जैसी हाल बन जाती है जिसके बाद मेन गेट से अंदर बिना जूते या कपड़े भिगोए नहीं जाया जा सकता।

तहसील कार्यालय से सरकार को लाखों का राजस्व मिलता है मगर ऐसी हालत से लगता है कि तहसील कार्यालय केवल राजस्व वसूली तक ही सीमित रह गया है। जनता की दिक्क्तों या यहां आने-जाने वाले लोगों से उसका कोई वास्ता नहीं है। यही हालत खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय की है। जिस कार्यालय के अंतर्गत लगभग 50 गांवों की पंचायतें आती है जिस कार्यालय की देखरेख में गांवों में विकास कार्य होते है वह अपने ही विकास को तरस रहा है। सतीश कुमार, संजीव कुमार, राहुल आदि ने बताया कि यहां की हालत क्या है न प्रशासन को कुछ मतलब है न ही अधिकारियों को लोगों को  बारिश के सीजन में इतनी परेशानी होती है कि दफ्तर तक पहुंचना भी आसान नहीं है।

 

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