दादुपुर हैड, जगाधरी। दादुपुर हैड पर बने पार्क के उतर-पश्चिम किनारे में कई दिन पहले शुरु हुआ कटाव मिटटी से बैग डालने से रुक नहीं पाया है। पार्क का नार्थ वेस्ट का कार्नर पूरी तरह से पानी की चपेट में आ गया है। यहां से ही विभाग की नई नहर का काम चालू हुआ था, जिसमें कई जगह ओर कटाव हो चुका है। मगर दशकों पुराने बनाए गए पार्क को बचा पाना सिंचाई विभाग के बूते की बात नहीं लग रही है। कुछ ही समय पहले इन किनारों को पक्का किया गया था मगर रेनी सीजन के टेस्ट में इसके रिजल्ट दिखने लगे हैं कि किस क्वालिटी का काम यहां पर किया गया था।
दादुपुर हैड पर पश्चिमी यमुना नहर के बीच बने पार्क को मेंटेन करना तो सिंचाई विभाग को नहीं आया। मगर इसके अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को भी अब दूर कर पाना विभाग के बस की बात नहीं लगती। यहां पर बनाए गए पार्क से आगे की ओर ही विभाग की नई नहर का काम चालू किया गया है। यह पार्क कई दशक पुराना है जिसके बावजूद यह टिका हुआ था, मगर पिछले तीन चार सालों में पार्क की हालत बदहाल हो गई है।
लगभग डेढ़ से दो वर्ष पहले इसके उत्तर साइड का किनारे में बड़ा कटाव हो गया। इसके बाद मिटटी के बैग आदि लगाए गए। नई नहर के निर्माण कार्य के दौरान इन किनारों को पक्का कर दिया गया, मगर काम जिस गुणवता से किया गया, बारिश के पानी में वह दिखने लगा। नहर विभाग की पोस्ट के सामने से इसमें कटाव शुरु हुआ जिसमें मिटटी के बैग लगा दिए गए। अब दूसरी ओर नहर किनारे बने पीर के सामने साइड में कटाव शुरु हो गया है। बारिश में पानी की मार से पक्के किनारे यमुना नहर में समा रहे हैं। मगर कोई विभाग के जिम्मेदार लोगों से पूछने वाला नही हैं कि दशकों पुरानी साइट पर आखिर नया काम कुछ महीने क्यों नहीं टिक रहा है। मिटटी के बैग लगा कर पेच लगाने का प्रयास हो रहा है, जितनी साइड पर मिटटी के बैग लगे है उसको छोड़ नया हिस्सा लगातार पानी के टकराने से टूट रहा है।
विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जहां पर कटाव हुआ है उसको ठीक करवा दिया जाएगा। विभाग के पास लगता है यही काम है कि बनवा दो फिर टूटे की रिपेयर करवा दो चाहे काम एक दो दशक छोड़ एक दो-साल भी न चले।