अम्बाला। देवनगरी हरिद्वार में 3 अगस्त को निकलने वाली ऐतिहासिक मां गंगे सावन जोत शोभायात्रा में राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के नेशनल प्रेजीडैंट एवं हरियाणा के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त अशोक मेहता मुख्य अतिथि होंगे।
नारायणढ़ में अशोक मेहता को सम्मानित कर शोभायात्रा का न्यौता देने पहुंचे श्री मां गंगे सावन जोत समिति, पानीपत के प्रधान सुभाष गुलाटी, महासचिव विपिन चावला और संयोजक सुरेश कामरा (भोला) ने बताया कि 3 अगस्त शाम 6 बजे यह शोभायात्रा हरिद्वार में सूखी नदी भूपतवाला के पास स्थित श्री चेतन ज्योति आश्रम से प्रारम्भ होकर मुख्य मार्ग से होती हुई हर की पौड़ी पर गंगा मैय्या की आरती के पश्चात् संपन्न होगी। स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी महाराज, महंत ऋषीश्वरानंद जी महाराज, श्री रामस्वरूप बह्मचारी, श्री सतपाल ब्रह्मचारी जी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज, महंत श्री दुर्गादास जी महाराज, बाबा हठयोगी जी महाराज, महंत श्री प्रेमानंद शास्त्री जी महाराज, महंत श्री शिवानंद जी महाराज एवं श्री सतीश भगत जी आदि महापुरुष शोभायात्रा की शोभा बढ़ाएंगे।
उन्होंने बताया कि साकेतवासी परम पूज्य श्री मज्जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री हंसदेवाचार्य जी महाराज के पावन आशीर्वाद से मां गंगे सावन जोत महोत्सव के कार्यक्रम 31 जुलाई से 3 अगस्त तक चलेंगे। इसके तहत 31 जुलाई को शाम 7 बजे पानीपत के वृंदा एन्कलेव हुडा सैक्टर 13-17 से श्री हनुमान मंदिर पटेल नगर तक शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा मुख्य अतिथि होंगे और विधायक प्रमोद विज एवं महापौर कोमल सैनी विशेष अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगी। 2 अगस्त को शाम 7 बजे स्वामी जगन्नाथ आश्रम ऋषिकेश के महंत श्री लोकेश दास जी महाराज के पावन सान्निध्य में हरिद्वार के श्री चेतन ज्योति आश्रम में माता की चौकी होगी, जिसमें दिल्ली के भजन गायक दीपक शर्मा माता का गुणगान करेंगे। समारोह के मुख्य अतिथि उद्योगपति विजय लक्ष्मी एवं अजय पालीवाल होंगे, जबकि ज्योति प्रचंड की रस्म पूर्व विधायक रोहिता एवं समाजसेवी सुरेंद्र रेवड़ी निभाएंगे। महोत्सव का अंतिम पड़ाव हरिद्वार में निकलने वाली भव्य शोभायात्रा होगी, जिसमें राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के नैशनल प्रेजीडैंट एवं हरियाणा के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त अशोक मैहता मुख्य अतिथि होंगे।
पाकिस्तान के मुल्तान से शुरू हुई थी सावन जोत की परम्परा
राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के नेशनल प्रेजीडैंट एवं हरियाणा के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त अशोक मेहता ने बताया कि ऐतिहासिक मां गंगे सावन जोत की प्राचीन धार्मिक परम्परा देश के विभाजन से पूर्व ही वर्तमान पाकिस्तान के मुल्तान जिले से शुरू हुई थी, तब इसे ‘मुल्तान सावन जोत’ के रूप में जाना जाता था। ऐसा माना जाता है कि उस समय मुल्तान में रहने वाले लाला रूप चंद मुल्तानी अपने साथियों के साथ पैदल ही हरिद्वार आते थे और मां गंगा में ज्योत प्रज्वलित करते थे। सावन माह को भगवान शिव को समर्पित माना जाता है, इसलिए इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह परम्परा शुरू करने का उद्देश्य मुल्तान क्षेत्र को बाढ़ एवं तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाना था।
अशोक मेहता ने बताया कि भारत-पाक विभाजन के बाद इस सावन जोत का मुख्य केंद्र पानीपत सोनीपत दिल्ली करनाल बन गए और श्री मां गंगे सावन जोत समिति, पानीपत के बैनर तले श्रद्धालुओं द्वारा हर वर्ष मां गंगे सावन जोत महोत्सव मनाया जाने लगा। भगवान शिव और गंगा मैय्या को समर्पित यह महोत्सव न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारत-पाक विभाजन के बावजूद हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का जरिया भी है। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से भारत की सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करना है। यह त्यौहार पंजाबी समुदाय के बीच धार्मिक आस्था एवं एकता का प्रतीक है और पंजाबी समुदाय के लिए धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व रखता है, जो अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ाव का प्रतीक है।