- विभागीय कार्रवाई के बावजूद एक- एक कस्बे या तहसील में बड़ी संख्या में कट रही कालोनियां
- अवैध कालोनियों से सरकार को हो रहा है करोड़ों के रेवेन्यू का नुकसान, जवाबदेही किसी की नहीं
रादौर, जगाधरी, यमुनानगर। अर्बन एरिया जगाधरी में पड़ने रादौर व घेसपुर के रकबे में चार अवैध कालोनियों पर टीसीपी विभाग ने कार्रवाई की है। विभाग ने यहां पर कच्ची सड़कों को उखाड़ा है। मगर सवाल यह है कि टीसीपी विभाग के अलावा स्टेट एनफोर्समेंट ब्यूरो को भी पावर्स देने के बावजूद आखिर अवैध कालोनियों का जाल इस कदर क्यों फैल रहा है। विभाग एक दो बार कार्रवाई करता है उसके बाद कालोनियों में निर्माण भी शुरु हो जाता है। उसकी सेल डीड रजिस्ट्र भी होने लगती है। आखिर कार्रवाई के बावजूद बड़ी संख्या रादौर, यमुनानगर, जगाधरी, बिलासपुर, सरस्वती नगर में कृषि योग्य भूमि पर कालोनियां कैसे बन रही है।
प्रेस रिलीज के अनुसार टीसीपी विभाग की टीम ने इन कालोनियों पर कार्रवाई की। यह कालोनियां अर्बन एरिया में 16 एकड़ में बनाई जा रही थी। विभाग ने यहां पर कच्ची मिटी की सड़कों को उखाड़ा। जिला नगर योजनाकार राजेश कुमार ने बताया कि संबधित पक्ष को अर्बन एरिया एक्ट 8 ऑफ 1975 के तह्त नियमानुसार नोटिस जारी किये गए थे। विभागीय आदेशों की पालना नहीं करने के कारण कालोनियों में कार्रवाई की गई।
एक-एक अवैध कालोनी से सरकार को करोड़ों के राजस्व का हो रहा है नुकसान
बीते लगभग दो वर्ष में विभाग ने जिन-जिन कालोनियों पर कार्रवाई की उसमें से अधिकतर कालोनियों में प्लाट सेल हो गए, यानी कोलोनाइजर्स का काम भी पूरा हो गया व विभाग का डिमोलेशन का टारगेट भी अचीव हो गया। मगर न सरकार को कुछ मिला न ही आम आदमी को, कालोनी के लिए प्रति एकड़ अगर रेंजिडेंशियल कालोनी की सरकारी लाइसेंस फीस की बात की जाए तो 35 से 40 लाख प्रति एकड़ बताई जाती है यानी अगर 10 एकड़ में कही अवैध कालोनी बन रही है तो मोटे अनुमान के अनुसार सरकार को 3 से 4 करोड़ का रेवेन्यू मिलना चाहिए, वहीं कर्मिशयल कालोनी के लिए प्रति एकड़ यह फीस करोड़ों में चली जाती है। जिस तरह से पूरे यमुनानगर में अवैध कालोनियों का काम चल रहा है इससे सरकारी राजस्व को सैकड़ों करोड़ों का नुकसान हो रहा है। अधिकतर अवैध कालोनियों में 50 फीसदी या उससे अधिक कर्मिशयल प्लाटिंग होती है, यानी एक- एक कालोनी से सरकार को कई करोड़ का नुकसान हो रहा है।
कोलोनाइजर्स को प्लाट बेचने से लेकर सेल डीड रजिस्ट्र कराने में कोई दिक्कत नही
सूत्र बताते हैं कि एक-एक कोलोनाइजर्स कई-कई कालोनियां काट रहा है। प्लाट बेचने के साथ रजिस्ट्रियां भी आसानी से हो जाती है, यानी सब कुछ इतना आसान होता है कि दो चार महीने में भूमाफिया कालोनी काट उसे बेच दूसरी कालोनी काटने की तैयारी में लग जाता है। टीसीपी विभाग तहसील कार्यालयों में अवैध कालोनियों में सेल डीड आदि रजिस्ट्र करने के लिए पत्र लिखे या न लिखे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। बस फर्क पड़ता है तो वहा पर इनवेस्ट करने वाले या प्लाट आदि खरीदने वाले को, क्योंकि अवैध कालोनी की वजह से निर्माण करें या न करें उसको कार्रवाई का भय बना रहता है ओर कालोनी बस जाए तो उसे सालों तक कोई सुविधा नहीं मिलती। जिससे गंदे पानी की निकासी से लेकर अन्य समस्याओं से वह जूझता रहता है।